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Sunday, December 18, 2016

हिंदुत्व और हम ...

मैं बचपन से कट्टर हिन्दू नहीं था और मेरे माता पिता ने मुझे कट्टरवाद तो क्या,कभी हिन्दुवाद भी नहीं सिखाया ,
मुझे बचपन से यह रटाया गया कि
"हिन्दू-मुस्लिम" भाई भाई,
मुझे बचपन से ही क्लास 10 तक सेकुलरिज्म का पूरा डोज दिया जाता रहा है,

याद है मुझे अभी भी कि 10 वीं कक्षा के History बुक में मुझे यह रटाया जाता कि -"
अकबर महान था, हुमायूं महान था, औरंगजेब वीर था" इत्यादि

मेरी अंतरात्मा ने कभी मुझे दिल से सेक्युलरिज़्म की दलदल में  नहीं जाने दिया ,

जब मैंने दुनिया को जानना शुरू किया समझना शुरू किया

अभी मैंने देखा कि बहुत से सेकुलर पत्रकार ब्लॉग लिखकर जी न्यूज़ की निंदा कर रहे हैं ...लेकिन निंदा क्यों कर रहे हैं क्योंकि जी न्यूज बंगाल में मुसलमानों द्वारा हिंदुओं पर किये जा रहे अत्याचारों को दिखा रहा है इसलिए उन्हें तकलीफ और पीडा हो रही है ।

2002 के गुजरात दंगों के दौरान (और 2014 चुनाव तक भी ) हर एक मीडिया हर एक अखबार दंगों को खूब बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता था रवीश कुमार वाले एनडीटीवी ने यह दिखाया था कि हिंदुओं की भीड़ में एक मुस्लिम गर्भवती महिला का तलवार से पेट चीरकर और उसका बच्चा निकालकर आग में फेंक दिया जांच में रिपोर्ट एकदम झूठी पाई गई तब किसी भी कांग्रेसी नेता ने या किसी भी सेकुलर सूअर पत्रकार ने यह नहीं कहा था कि NDTV और कोबरा पोस्ट तहलका जैसे पोर्टल सांप्रदायिक सौहार्द को खराब कर रहे हैं ।

लेकिन जब मुसलमानों द्वारा हिंदुओं पर अत्याचार की खबर दिखाई जाती है तब ही ये सेकुलर चिल्लाने लगते हैं देश का सांप्रदायिक माहौल खराब किया जा रहा है ।यानी मीडिया के कुछ वर्गों, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की नजर में हिंदुस्तान में मुसलमानों द्वारा दंगा करना दंगा फैलाना मंदिरों पर और हिंदुओं की संपत्ति पर हमला करना जायज है, पिछले कुछ दिनों में जिस तरह बंगाल में हालात बाद से बदतर हुए है ये जानता हर कोई है दबी जबान में कहता भी हर कोई है लेकिन सेक्युलरिज़्म का कीड़ा इस पीड़ा को कभी खुलकर बहार नही आने देता,

इसका कारण भी लगभग है कोई जानता है भले ही साबके सामने स्वीकार करने या कहने में झिझक होती हो, लेकिन चलो फिर भी मैं आज फिर बता देता हूँ ये साम्प्रदायिकता कोई नही चीज नही है लेकिन धरती के किसी भी कोने में चले जाओ, जहाँ भी साम्प्रदायिक दंगे फसाद हो उनमे एक दोनों पक्षो पर गौर करोगे तो पाओगे की 99% मामलो में एक पक्ष हमेशा मुसलमान होगा, फिर दूसरा चाहे कोई भी हो.... दूसरा पक्ष हिन्दू, सिख्स, ईसाई, बौद्ध, जैन, यहूदी कोई भी हो सकता है....

दुनिया भर के मुसलमानों को दरकिनार कर यदि हम ये सोच भी बनाने के प्रयास करे की भारत का मुसलमान ऐसा नही है, भारतीय मुसलमान देशप्रेमी और भाईचारे से रहने वाला है तो भी मन ये मानने कोई तैयार ही नही होता, क्योंकि भारत का इतिहास भूगोल वर्तमान सबकुछ ये ही कहता है कि मुसलमान सिर्फ मुसलमान है ना वो भारतीय है ना ब्रिटिश न अफ़्रीकी .....
इसलिए मेरे मन में एक सवाल आया की यदि मुसलमान सच मे भाईचारे के साथ रहते हैं तो फिर पाकिस्तान और बांग्लादेश की जरुरत ही क्यों पड़ी? और अब जम्मू कश्मीर,  केरल, बंगाल, उत्तरप्रदेश किस राह पर जा रहे है और उसकी वजह क्या है ये प्रश्न तब तक अनुत्तरित रहेगा जब तक हमें झूठा सेकुलरिज्म पढ़ाया जाता रहेगा....