आरता के नैन, कचाली भर आइयो,
टेढ़ी टेढ़ी पगियो में, बीरा जी हमारे,
लंबे लंबे घूंघट वाली, भावज हमारी,
क्या मेरी सांझी ओढेगी, पहरेगी,
सोने का सीस गुनधाएगी,
जाग सांझी जाग तेरे माथे लगे भाग,
तेरी पटियों में मांग, तेरे हाथो में सुहाग,
गोरा री गोरा सांझी का भैया गोरा
गोरी है बहुरिया,
अस्सी तेरे फूल, पिचासी तेरे डंडे,
श्रवण तेरी डोर, मुल्तानी तेरे पलड़े,
हल्दी गांठ गठीली, सबकी बहु है हठीली,
माँगे सोने का बिंदा, बिंदा मोल गया,
भाभो रूठ गयी, भैया बागों में जाइयो,
एक लोधड़ा कटाइयो, सूडा सूड़ मचाइयो,
कालबली के ऊंचे पाए, नीचे पाए
लेले बेटा गोद खिलाए,
गुरसल मंगल गाती आई,
चिड़िया चूँ चूँ करती आई
अऊं तेरी सांझी, मांगे गेंहू,
तू दे सपूती जौ, तेरे बेटा होंगे नौ,
नौ नोरते देवी के, सोलह कनागत पितरों के,
खोल मेरी देवी , चंदन किवाड़,
मैं आई तेरे पुजनहार,
पूज पूजन्ति क्या कुछ लाई,
भैया भतीजे सब परिवार,
भैया तेरे नौ दस बीस
भतीजे तेरे पूरे तीस
हमारे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गाई जाने वाली आरता है ये, आपके क्षेत्र के हिसाब से थोड़ा बहुत अलग हो सकती है, लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के मैदानी इलाकों, दिल्ली, हरियाणा राजस्थान आदि में काफी प्रचलित है, आप मे बहुतो ने सुनी ओर गाई होगी लेकिन अब शायद ही किसी को याद हो इसीलिए आज इसे लिपिबद्ध कर दिया है ताकि आने वाले समय मे याद कर सकू,
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