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Monday, October 2, 2017

२अक्टूबर : गाँधी या शास्त्री

आज २ अक्टूबर है, आप मे से ज्यादातर की छुट्टी होगी, लेकिन मेरी नही है आज भी ड्यूटी जाना है, रोज की तरह ट्रेन चलानी है, कुछ भाई मेरे जैसे और भी होंगे जिन्हें आज भी रोज की ही तरह अपने अपने ऑफिस जाना है काम करना है

   खैर छुट्टी किस बात की है, ये तो सबको पता ही होगा, क्या कहा आज ड्राई डे है, अबे हरामखोरो ड्राई डे की नही  गाँधी जयंती की छुट्टी है, राहुल गाँधी नही महात्मा गाँधी, सारे गाँधी राहुल गाँधी नही होते कुछ महात्मा गाँधी ओ सॉरी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी होते है, ये बात नॉट करके रख लो अगली गाँधी जयंती पर पूछुंगा,

   २अक्टूबर गाँधी जयंती होती है ये तो ज्यादातर सबको पता है लेकिन २अक्टूबर को ही एक और महात्मा यानी कि श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्मदिवस है हम में से कितने जानते है, आज तो फिर भी बहुत लोग जानते है लेकिन कुछ वर्ष पहले तक कितने जानते थे....

   आज के दिन सोशल मीडिया २ हिस्सो में बटा होता है एक गाँधी भक्त दूसरे शास्त्री भक्त,
(स्पष्टीकरण:  यहाँ भक्त का अर्थ मोदी भक्त नही है)

   सच कहूँ तो मैंने गाँधी के बारे में अब तक जो पढ़ा है सुना है उसमें ८० प्रतिशत नकारात्मक है और बाकी २० प्रतिशत सकारात्मक, लेकिन शास्त्री जी के बारे में केवल और केवल सकारत्मक पढ़ा है, खैर ये मेरी निजी रुचि का मामला हो सकता है लेकिन नही बात उस से थोड़ी ज्यादा है, गाँधी के बारे में जो सकारात्मक पढ़ा है उसका ९० प्रतिशत सरकारी किताबे, गांधी जयंती छपने वाले लेख भाषण से मिला है बाकी  मेरी निजी दिलचस्पी के माध्यमो से, और जो नकारात्मक था वो ज्यादातर निजी तौर पर लिखा गया स्वछन्द लेखो या इतिहासकारों का था,

   यदि शास्त्री जी के बारे में बात की जाए तो मुझे उनके बारे में आज तक कुछ नकारत्मक पढ़ने सुनने को नही मिला, फिर वो क्या है की गाँधी हर जगह सहज उपलब्ध है लेकिन शास्त्री पहचान का मोहताज बनकर कोनों में दुबके से खड़े है, ऐसा कमजोर व्यक्तित्व तो बिल्कुल नही था शास्त्री जी का की उन्हें पहचान का मोहताज होना पड़े,

    आदर्शों की बात की जाए तो गांधी  का पूरा जीवन विवादों से भरा और संदेहास्पद रहा है, गाँधी ने केवल आदर्शों की बात की लेकिन शास्त्री जी ने उन्हें जिया है,
जिन आंदोलनों के लिए गाँधी को जाना जाता है उनका क्या हश्र हुआ उनमे से कितने अपने अंजाम तक पहुंचे, यदि किसी को जानकारी है तो बताए मेरी जानकारी में तो सभी बीच मे ही खत्म हुई है,

   हर काम को अधूरा छोड़ना गाँधी का गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाता है वहीँ शास्त्री जी ने जिस जिम्मेदारी भारत को भुखमरी से उभारा और आत्मसम्मान से जीना सिखाया वो बेमिसाल है,

  हो सकता है मैं  गांधी को समझ नही पाया हूँ लेकिन शास्त्री जी को बड़े अच्छे से समझा है, शास्त्री जी एक सुदृढ, साफ और सुलझे हुए व्यक्तित्व थे, उन्होंने कभी सादा जीवन उच्च विचार की बात नही की  वरण उसे जिया है,

   मुझे बस ये ही लगता है गांधी  को महान बनाने में  गोडसे की उन तीन गोलियों का हाथ है जिन्होंने गाँधी के मुँह से निकले "हराम" को "हे राम" लिखवा दिया,

   तुम मनाओ गाँधी जयंती हम तो अपने शास्त्री जी याद करके गर्व महसूस करते है,

पगला पंडित अतुल शर्मा गुड्डू

www.paglapandit.blogspot.com