क्या मैं हाथरस पर कुछ ना लिखूं ? क्या मैं हाथरस पर चुप रहने का रास्ता चुन सकता हूँ ? मेरे पास हजार कारण है चुप रहने के, लेकिन बोलने का जो कारण है वो उन सब से बड़ा है वो है लड़की का बलात्कार और हत्या हुई है ।
हाथरस घटना :
मीडिया और सोशल मीडिया के ट्रायल के बाद ये बात समझ आई है कि मामला आपसी दुश्मनी का परिणाम है, लड़की अपनी माँ के साथ खेत मे गयी थी वहीं मुख्य अपराधी ने दबोच ली, बलात्कार किया, जिस दौरान लड़की का गला दबाया गया, जबरदस्ती मार पिटाई बचने का प्रयास इस सब के दौरान लड़की की जीभ उसी के दांतों से कट गई, लड़की को गर्दन और रीढ़ की हड्डी में भयानक चोट आई, जिसकी वजह से इलाज से दौरान अस्पताल ने लड़की की मौत हो गयी ।
फिर आपसी दुश्मनी का भी एंगल था तो आरोपी एक से चार हो गए,
इसके बाद जब मामला मीडिया में आया तो पुलिस भी हरकत में आई चारो आरोपी /अपराधी गिरफ्तार कर लिए गए । मामले पर राजनीति थोड़ी और गहराई तो पुलिस ने हंगामे के डर से घर वालो की उपस्थिति में रात में ही अंतिम संस्कार करा दिया । बवाल और ज्यादा हंगामे राजनीति और लाश की दुर्गति से बचने के लिए ।
राजनीति गलियारों में हंगामा शुरू हुआ तो मुख्यमंत्री साहब में SIT गठित कर दी त्वरित जांच के लिए, मुआवजे , नौकरी और घर की भी घोषणा कर दी। मामला फास्टट्रैक कोर्ट को भी ट्रांसफर कर दिया ।
जनता क्या चाहे.... तुरंत दान महकल्याण ।
गाड़ी पलट दो, एनकाउंटर कर दो, गोली मार दो, फांसी दे दो । न्याय न्याय न्याय ।
राजनीति के दुकानदार कुछ भी कहे लेकिन जनता की भावनाएं भड़क चुकी है, वो फेसबुक वाट्सएप ट्विटर पर धड़ाधड़ कॉपी पेस्ट शेयर करेगी, डीपी बदलेगी मोमबत्ती भी जलाएगी यदि कहीं फ्री में बट रही होंगी।
बाकी बदलेगा कुछ नही इसके उसके इनबॉक्स में अभी भी लार चुवाने जाएँगे, गली नुक्कड़ पर खड़े होकर माल ताड़ेंगे, आँखे सकेंगे। फेसबुक वाट्सएप पर संत का चोला पहन कर क्रांतिकारी भी बनेंगे ।
लेकिन यदि इतने हंगामे के बाद भी गाड़ी ना पलटी, या भागने का प्रयास ना किया तो धिक्कार है... धिक्कार है उत्तरप्रदेश सरकार, धिक्कार है उत्तरप्रदेश पुलिस, धिक्कार है उत्तरप्रदेश प्रशासन,
लोकतंत्र है तो लोकमत का सम्मान करना ही होगा, कानून और न्याय वही है तो जनता को प्रसन्न रख सके अंततः ये सरकार का धर्म है ये ही कर्तव्य है । मैं बहुसंख्यक जनता के साथ हूँ, मैं चाहता हूँ जल्द से जल्द गाड़ी पलटे, या अपराधी भागने का प्रयास करे । लेकिन जिस तरह गाड़ी पलटने पर पुलिस बच जाती है उसी तरह वो तीन भी बच जाए, गोली उनके भी हाथ जांघ या कोहनी को छू कर निकल जाए लेकिन जो मुख्य अपराधी है उसकी गाड़ी पलटनी ही चाहिए । क्योंकि मैं नही चाहता 10-20 या पचास साल बाद गवाहों सबूतों की कमी कहकर मामला रफा दफा हो या 10 -5 साल की सजा देकर इन्हें बाहुबली , नेता या अपराधी बनाया जाए ।
लोकतंत्र में लोकमत का सम्मान करना ही पड़ेगा योगी जी।