मलाला युसूफजई... वही लड़की जिसने शिक्षा पाने के अपने हक के लिये आवाज उठाई थी...बदले में आतंकवादियों ने उस पर गोली चला दी... गोली लगने के बावजूद वो बच निकली और रातोंरात स्टार बन गयी।
दुनिया भर की मीडिया ने उसे सर पर बैठाया, भारतीय मीडिया तो चार कदम आगे रही।
जानतें हैं उसके स्टार बनने की वजह?
अपने हक के लिये आवाज उठाना?
नहीं...बिल्कुल नहीं...हक के लिये तो हर दूसरा आदमी उठाता है...वजह थी गोली लगना और फिर बच निकलना।
मलाला आज जहाँ भी हैं खुद की नहीं आतंकवादियों की वजह से...मलाला के शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचने में आतंकवादियों का योगदान है...फिर वो जहाँ भी गयी, जिधर भी लेक्चर दिये, आतंकवाद के खिलाफ बोलीं वो सुरक्षा के बड़े घेरे में।
आलोचना नहीं कर रहा बता रहा की जिस तरह से मलाला को यूथ आईकन की तरह पेश किया गया वो बिल्कुल ही बचकाना था। मलाला ने ऐसा कोई तोप नहीं चलाया था ।
उनसे ज्यादा प्रतिभावान लोग पड़े हैं जो अपनी काबिलियत भर के दम पर विश्व को एक नई दिशा देने की क्षमता रखतें हैं...पर उनको गोलियां नहीं पड़ी इस वजह से कोई पूछता नही।
मलाला को गोली लगी इसलिये वो दुनियाभर के लिये क्रांतिकारी हो गयीं।
आज यही क्रांतिकारी कश्मीर मुद्दे पर आतंकवादियों के मानवाधिकार के लिये भाषण दे रही हैं...उन्ही मजहबी कट्टरपंथियों के लिये जिन्होंने गोली मारी थी...हमदर्दी छलक ही गयी।
किसी को भी अपना आदर्श बनाने से पहले उसके बारे में बड़े अच्छे से सोच समझ लेना चाहिये..वरना यूं ही हड़बड़ी में गड़बड़ी होती है....मलाला ने ऐसा कोई योगदान नहीं दिया जिससे उन्हें लोगो के आदर्श के रूप में रिप्रेजेंट किया जाये.. आदर्श बनते हैं अपने कर्मो से , खुद के साथ हुये हादसों से नहीं।
बाकी मैं मलाला को आतंकवादियों के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाली थोड़ी कम कट्टरपंथी मानता हूँ।
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