मैं खेती के बारे में ज्यादा कुछ नही जानता जानता हूँ तो केवल इतना कि मेरे घर में गन्ने के खेती होती है, थोडा बहुत गेहूँ चावल सरसों कभी कभी थोड़ी बहुत दाल भी हो जाती है, जब मैं छोटा था पता नही कहाँ से दिमाग में बैठ गया की डॉक्टर बनना है मुझे याद नही है लेकिन घर वाले बताते है की जब छोटा था तो बोलता था की बड़ा हो कर डॉक्टर बनूँगा और इतने पैसे कमाऊँगा की पूरा घर पैसो से भर दूंगा,
फिर थोडा बड़ा हुआ चीजे समझने लगा जानने लगा तो देखा अपने पास जो भी थोड़ी बहुत खेती है पूरा परिवार उसी में दिन रात मेहनत करता है लेकिन फिर भी परिवार की जरूरते इच्छाए पूरी नही हो पाती थी, थोडा और बड़ा हुआ मुझे में खेत में जाना पड़ने लगा कभी कभी,
लेकिन इन सब के बीच भी जो बात मैं आज गर्व से कह सकता हूँ वो है कि मेरे मम्मी पापा ने हम सब के लिए जो किया वो मुझे तब बिलकुल भी समझ नही आता था लेकिन आज उस सब की महत्ता समझ आ गयी है भले ही बचपन में वो मेरे शौक ना पुरे कर पाए हो लेकिन मेरी जरूरते हमेशा पूरी, मेरे लिए वो सब किया जो वो कर पाए, बचपन से पैसे की कमी देखी थी तो पैसे की कीमत भी जान गया था जल्दी ही, समझ आ गया था की समाज में यदि आपके पास पैसा है तो लोग आपसे हँस कर बात करेंगे, लेकिन यदि आप गरीब है तो आपको अपना कहने वाले भी आपसे सार्वजानिक रूप से मिलने से बचेंगे कहीं उनके साथ वालो के ये ना पता चल जाए ये गरीब किसका मिलने वाला है,
माफ़ी चाहूँगा मुद्दे से भटक गया वो क्या है की कोई लेखक नही हूँ केवल अपनी भावनाए लिखने बैठा तो हल्का छूने से ही घाव ताजा होते गए, वापस आता हूँ किसानी पर
मुद्दा वो ही है किसान की दुर्दशा, जिम्मेदार कौन ? किस्मत ? सरकार ? या किसान ? या हम,
सरकार को तो गाली सभी देते आए है मैं भी देता हूँ, लेकिन आज नही, आज सरकार को गाली देने का मन नही है आज मैं अपने गिरेबान में झाँकने बैठा हूँ, क्योंकि मैं खुद किसान परिवार से हूँ तो थोड़ी बहुत स्थिति समझता हूँ,
ये बात बताने वाली नही है लेकिन दोहरा देता हूँ जो नही जानते शायद वो भी जान/ पढ़/ या समझ पाए, पढ़ने समझने के बाद मनन जरूर करे और यदि समझ आ जाए तो किसान को उसकी मेहनत का फल दिलाने में अपनी भागीदारी जरूर निभाए, जो बात बताना या कहना चाहता था वो ये है की केवल किसान ही है जो साल भर मेहनत करता है बिना किसी CL, EL, Medical, RH, Rest या जितने भी प्रकार की छुट्टियां होती है बिना लिए, उसके घर में शादी या मौत भी होगी तो भी वो अपने खेत में पानी भी लगाएगा, जानवरो को चारा पानी भी देगा, गोबर भी हटाएगा, फसल कटनी होगी तो उसे काटेगा भी क्योंकि यदि समय से ना काटी तो समझो आधी फसल बर्बाद, मतलब पुरे साल जो परिश्रम किया है वो व्यर्थ,
तो भैया बस इतना सा निवेदन है जब भी किसी किसान मजदुर को सब्जी फल बेचते देखे तो उनसे अपनी जरुरत का सामान जरूर ख़रीद ले , और एक दो रूपये के लिए ज्यादा मोल भाव न करे, वो भी करे तो बस मुस्कुरा कर बात करे खुश हो कर एक दो रूपये का सामान तो ऐसे भी ज्यादा दे देगा केवल आपबे हँस कर बात करने से, इस बात की गारंटी मैं दे सकता हूँ सामान एक दम अच्छा होगा दिखने में भले ही बिग बाजार या सुपरमार्केट की तरह चमकदार ना हो क्योंकि उस पर कोई पोलिश नही की हुई होगी, सीधे अपने खेत से लाया होगा उस बेचारे के पास ना इतने साधन है ना समय की लोगो को धोखा दे कर अपने भला करने के लिए सोचे, उस से भी बड़ी बात है साधन और समय तो जुटा भी ले लेकिन वो पाप नही उसके मन में, क्योंकि वो ईश्वर का रूप है धरती पर, हम सब का पालनहार है अन्नदाता है
उसे उसके हिस्से का सम्मान अवश्य दे
एक आम लेकिन खास भारतीय नागरिक के अंतर्मन से निकले शब्द है, किसी अख़बार या टीवी शो पर नही मिलेंगे
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Thursday, April 28, 2016
परिवार और किसानी
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