चलो मौसम अच्छा है बारिश हुई है मन थोडा अशांत है लेकिन चलो शायद लेखनी उसे शांत कर पाए इसीलिए हमने आज फिर अपने हथियार उठा लिए,
आज का मुद्दा है आरक्षण... सबसे विवादस्पद लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में भी है आमजन में
आरक्षण को समझने के लिए जरुरी है सबसे पहले ये जानना की आरक्षण है क्या : ...अब कोई कहेगा की आरक्षण भीख है, कोई कहेगा की आरक्षण हक़ है, कोई इसे जरुरत का नाम देगा, कोई नेताओ का बोया हुआ बीज बताएगा... सबका अपना अपना मत है, होना भी चाहिए यही आपके होने की पहचान है.... अब बात आती है मेरी... मेरे हिसाब से आरक्षण क्या है... तो भैया सीधी सी बात है.. परिभाषा, संविधान, कानून ना इन सब की मुझे जानकारी है ना अभी इनके बारे में सोच रहा है
मेरे हिसाब के तो आरक्षण कुछ भले नेताओ द्वारा बोया गया ऐसा बीज है जिसका उद्देश्य समाज के दलित पिछड़े तबके को सबके साथ लाकर खड़ा करना था लेकिन आरक्षण को जातियो से जोड़ना ही इसके मूल उद्देश्य से भटका गया और अब कुछ जातिविशेष के लोग इसे अपना हक़ मान बैठे है, साथ ही साथ आरक्षण का गलत प्रारूप योग्यता के साथ खिलवाड़ है इसमें भी कोई शक नही है इसलिए आरक्षण के मौजूदा प्रारूप को देश के लिए जहर कहना गलत नही होगा,
अब प्रश्न आता है की क्या आरक्षण अपने वास्तविक मकसद में कामयाब हुआ,
ये भी बड़ा ही जटिल प्रश्न है आरक्षण की कामयाबी को नाकारा भी नही जा सकता समाज में दलित समाज की हिस्सेदारी बढ़ना साफ़ दर्शाता है की काम तो हुआ है लेकिन इस काम की कीमत क्या है ये जानना भी बहुत जरुरी है किसी को सबल बनाने के लिए दूसरे को दुर्बल करने का प्रयास ही आज का आरक्षण है
एक आम लेकिन खास भारतीय नागरिक के अंतर्मन से निकले शब्द है, किसी अख़बार या टीवी शो पर नही मिलेंगे
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Friday, July 8, 2016
आरक्षण
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