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Wednesday, August 9, 2017

काकोरी कांड या भारत छोड़ो आंदोलन

#काकोरीकाण्ड
अंग्रेजी सीनाजोरी को, उत्तर था वो जी दारी का...
कुछ मतवाले जांबाजों ने, था काण्ड किया काकोरी का...
#वंदेमातरम...

ये कहानी उनके लिए जिन्हें लगता है आजादी किसी गाँधी या नेहरू ने दिलाई थी

एक गाँव में एक बहुत पुराना विराट वृक्ष था उसमे तरह तरह के विषैले सर्प रहते थे जो वहां से निकलने वाले पथिकों को काट लिया करते थे गाँव के लोग परेशान रहने लग गए क्योंकि उस गाँव का मुख्य मार्ग वही था
फिर एक दिन पंचायत में तय हुआ की इस वृक्ष को काट दिया जाए और फिर शुरू हुआ गाँव को उस वृक्ष से आज़ाद कराने का आंदोलन।
उस वृक्ष को काटने जो भी व्यक्ति जाता कुल्हाड़ी से एक दो वार करता तब तक उसे सर्प काट लेता और वो मर जाता
लेकिन गाँव वालों ने हिम्मत नही हारी बीसों साल सतत प्रयास होता रहा कई लोग मौत की नींद सोते रहे परंतु कुल्हाड़ियों के निरंतर वार से वह वृक्ष इतना कमजोर हो गया की बस आज गिरा या कल गिरा लेकिन गाँव वाले इस बात से अनभिज्ञ थे क्योंकि वृक्ष झाड़ियों से घिरा हुआ था

एक दिन गाँव में दो कौवे आये और उसी वृक्ष में बैठ कर जोर से काँव काँव करने लग गए चूंकि पेड़ कमजोर हो गया था जिसके कारण वह उसी समय गिर गया और गाँव के अनपढ़ भोले भाले लोग उन कौवों को भगवान का भेजा हुआ दूत समझ बैठे और पेड़ गिराने का सारा श्रेय अपनी जान देने वाले उन शहीदों को न देकर उन दोनों कौवो को देने लग गए।

इस कहानी को #गांधी #नेहरू से जोड़कर अवश्य देखें।

आने वाली पीढियां उतना ही जान पाती है जितना उन्हें बताया जाता है,  हमे दिन रात चारो तरफ गाँधी नेहरू पढ़ाए दिखाए गए तो उन्हें ही आजादी के रहनुमा समझ बैठे, जो अपना सबकुछ न्योछावर कर गए उनकी कोई बात भी नही करता क्योंकि उन्हें इतिहास के पन्नो से भी गायब कर दिया गया, पूरा दिन बीतने पर काकोरी वालो को याद करने वाले वाले गिनती के थे जिन्हें लोग संघी भाजपा वाले या भक्त कहते है बाकी सब उन आंदोलनों की बरसी मनाते रहे जो हर बार बीच मझधार में छोड़ कर रास्ते बदल गए, 

चलो मान लिया चरखे ने ही उन सारे अंग्रेजो को पटका था, 

पर हमको दे दो वो पावन रस्सी जिस पर बिस्मिल लटका था,

भलो हो गाँधी की धोती तुम्हारे लिए गहना था,

पर हमको दे दो वो फंदा जिसे भगत सिंह ने पहना था, 

चलो आजादी के महायुद्ध में सारा कार्य तुम्हारा था,

पर हमको दे दो वो गोली जिसे आजाद ने खुद को मारा था,

हम मान चुके की नेहरू ही भारत आजाद कराया था,

पर हमें सुना दो फिर वो धुन जिसे राजगुरु ने गाया था, 


सोते सोते एक गौरवमयी श्रद्धांजलि उन शहीदों के नाम जिनके नाम भी मिटा दिए गए,

#काकोरी

आपका पगला पंडित
अतुल शर्मा गुड्डू
रासना वाला


1 comment:

  1. आज पहली बार तेरे लेख पढें बहुत सहमत हूँ तेरी राय से

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