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Saturday, August 26, 2017

टिप्पणी वालो गिरेबान में झांको

मुझे ये नही समझ आ रहा जिस देश का प्रशासन,  कानून व्यवस्था और न्यायपालिका इतनी मजबूत हो कि  १००-२०० लोगो की भीड़ भी पुलिस और प्रशासन को जब चाहे जैसे चाहे नाको चने चबवा देती हो, वहाँ यदि ५-७ करोड़ अनुयायियों वाले किसी बाबा को सजा सुनाते समय कोर्ट के बाहर जमा लाखो लोगो की भीड़ को संभालने में ८-१० घंटे लगाकर, बिना किसी बहुत सख्त कार्यवाही या बल प्रयोग के संभाल लेती है हाँ आगजनी और तोड़फोड़ रोकने में नाकाम रही है,

इसे नाकामी कहना चाहिए या कामयाबी, ये आपके विवेक पर निर्भर करता है यदि स्वयम्भू विशेषज्ञों की माने तो यदि इस भीड़ से सख्ती से निपटती तो जिन लाशों की गिनती गिनाकर हो हल्ला मचाया जा रहा है वो कितनी होती इसका हिसाब कोई लगा सकता है क्या....

और ये जो पूर्व फलाना पूर्व ढिकाना अधिकारी बैठ कर ज्ञान दे रहे है इन्होंने अपने कार्यकाल में क्या गुल खिलाए है कितने दंगे फसाद कितने नुकसान में निपटाए है इसका कच्चा चिट्ठा भी साथ मे दिखाया जाए तो बाहर बैठकर ज्ञान देने वाले इन ज्ञानियों की योग्यता का पता चलेगा, मुझे नही लगता इनमें से किसी को भी इस स्तर की भीड़ से निपटने का कोई अनुभव भी होगा

और सबसे मजेदार बात वो न्यायालय कार्यवाही सीखा रहा है जिसे एक बलात्कारी को बलात्कारी घोषित करने में १५ साल लग गए, धन्य है हम की हमारे माननीय न्यायधीश साहब जिनकी अपनी अदालतों में करीब १५ करोड केस लंबित है बाकी सभी विभागों को ज्ञान देते है,

ऐसे में जब हर कोई टिप्पणी दे ही रहा है तो मैं भी माननीय न्यायालय को कहना चाहूँगा की न्यायालयों में एक आईना भी लगवा लो ताकि खुद को भी देख सको दुसरो पर टिप्पणी करते वक्त,

खैर आईने का बजट पता नही कब पास हो, कब टेंडर हो , कब लगाए जाए लंबी प्रक्रिया है इस पर भी किसी ने स्टे ले लिया तो गयी भैंस पानी मे १५-२० साल के लिए, तब तक के लिए एक टेम्परेरी जुगाड़ बताए देता हूँ, अपनी गिरेबान में भी झाँक लिया करो माननीय न्यायालय साहब

पंडित जी की विशेष टिप्पणी
अतुल शर्मा - Atul Sharma की कलम से,
टिप्पणी सुनाते ही कलम तोड़ दी गयी है

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