Search This Blog

Friday, August 25, 2017

राम रहीम केस

गुरमीत सिंह राम रहीम (असली नाम मुझे नही पता खैर जो भी हो समझ तो गए ना) दोषी है या नही ये तय होने में अभी समय बाकी है रिजल्ट जो भी हो मुझे निजी रूप से कोई खास फर्क नही पड़ेगा, क्योंकि ना तो मैं उसका अनुयायी हूँ ना ही मेरी कोई दुश्मनी या ईष्या है, हाँ उस से जुड़ी कुछ चीजो के मजे जरूर लेता रहा हूँ समय समय पर जैसे उसके अनुयाइयों का उसे पिताजी कहना या उसका फिल्मे बनाना या उसका रंगीन लाइफस्टाइल,

फैसला जो भी आए उस से पहले मैं कोई राय नही बनाना चाहता इस बारे में क्योंकि मैंने दोनो ही पक्षो के तर्क पढ़े सुने है, वास्तविकता से पर्दा उठाने के लिए सीबीआई काम कर रही है और फैसला सुनाने के लिए कोर्ट है, यदि आज के फैसले के बाद किसी भी पक्ष को लगेगा कि उसके साथ न्याय नही हुआ तो वो ऊपरी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है, भारतीय कानून और न्याय व्यवस्था इतनी लचर है कि यदि आप किशोर अवस्था मे कोई अपराध करे और कानून से लड़ने का जज्बा दिखाए तो आप पूरी जिंदगी मीडिया में रहकर भी एक सम्मानित नागरिक की तरह अपना जीवन जीकर बुढ़ापे में अपनी मौत मर सकते हैं,   तो राम रहीम या समर्थकों को इसमे चिंता करने या परेशान होने की जरूरत नही है न्यायालय के दरवाजे अपराधियो के लिए रात के २ बजे भी खुल सकते है बस आपमें खुलवाने का दम होना चाहिए और इस मामले में मुझे कोई संदेह नही ये गुरमीत राम रहीम किसी भी तरह से कमजोर है,

एक और बात यदि आज फैसला राम रहीम के खिलाफ आता है तो ये जो हुजूम सड़को पर जुटा हुआ है भारतीय कानून व्यवस्था की जड़े हिला देगा, हालांकि इस बार सरकार परिस्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है लेकिन टकराव की स्थिति बनी तो परिणाम भयानक होंगे,

इस सब से इतर मुझे कोर्ट का रवैया पसंद आया जिसने प्रशाशन को खुले हाथ दिए है स्थिति से निपटने के लिए, लेकिन साथ ही साथ एक बात परेशान भी कर रही है वो है कोर्ट की क्षणिक मर्दानगी, माफी चाहूंगा आपने बिल्कुल सही पढ़ा है, क्या ये वही भारतीय न्यायालय है जो आतंकियों के मददग़ार / या भावी आतंकियों पर नरमी बरतने के आदेश सेना को देती है, सेना को पैलेट गन चलाने से रोकना चाहती है लेकिन यहाँ निहत्थे अनुयायियों पर कोई नरमी ना बरतने का आदेश देती है, मीडिया हॉउस या अदालतों के बाहर बैठे वो दलाल मानव अधिकारों के रक्षक भी कहीं नही दिखाई दिए जो अदालत के इस रवैये के विरोध में मोमबत्ती जला सके या आदेश पर ऊपरी कोर्ट से स्टे ला कर सरकार प्रशाशन के हाथ बाँधने की कोशिश कर सके,

अदालतों के मर्दानगी देशद्रोहियो के खिलाफ कहाँ चली जाती है, कभी कसाब को बिरयानी खिलाती है कभी पत्थरबाजों के मानवाधिकारी गिनवाती है, शायद रामपाल केस में जो प्रशासन के धुएं निकले थे उन्हें देख कर ये तैयारी हो,

हाँ यदि फैसले के बाद यदि किसी भी तरह का कोई हंगामा हो तो मैं खुद चाहता हूँ कि सख्ती से निपटा जाए, कोई भी आंदोलन/ विरोध/ प्रदर्शन यदि हिंसात्मक होता है तो सरकार को कुछ समय के लिए मानवाधिकार और अदालत की तरफ से आँख बंद करके उसे सख्ती से कुचलना चाहिए, और हां दंगे के बाद भी एक एक को चुन चुन कर उन्हें आभास कराना चाहिए कि हम बन्दरो की प्रजाति के है पिछवाड़ा अभी भी लाल हो सकता है

और जिस तरह शासन प्रशासन तैयार उसे देख कर  पहले ही बता सकता हूँ आज राम रहीम पर आरोप सिद्ध होंगें और सजा सुनाई जाएगी, आज गुरमीत राम रहीम का तिलिस्म टूटना लगभग तय है

..... To be continued

#रामरहीम #हरियाणा #पंजाब #पंचकूला
अतुल शर्मा - Atul Sharma


No comments:

Post a Comment