काँवड़ यात्रा : मेरा अनुभव
#भाग_१
#काँवड़_तैयारी_स्पेशल
#यात्रा_पूर्व_तैयारी
हाँ तो दोस्तो जैसा कि मेरे सब फ़ेसबुकिया मित्रो को जानकारी होगी कि इस बार मैं पहली बार काँवड़ यात्रा पर गया, करीब १५ दिन पहले मन मे काँवड़ यात्रा का प्लान आया, फाइनल हुआ करीब करीब एक सप्ताह पहले, फिर फ़ेसबुकिया मित्रो से सलाह सुझाव जुटाने के बाद ऑफिस में छुट्टी के लिए अप्लाई किया, और छुट्टी भी मिल गयी जाने से एक दो दिन पहले,
जाने का प्लान कन्फर्म होते हुए ही तैयारियों का दौर शुरू हुआ, शारीरिक रूप से कोई भी तैयारी करने के लिए शायद एक सप्ताह का समय काफी कम था इसलिए मैंने भी इस और कोई ध्यान नही दिया, तैयारी के नाम पर जरूरत के सामान जुटाना शुरू किया, इसलिए लिए कुछ ऑनलाइन शॉपिंग की जो डिलीवरी एक या दो दिन में दे रहे थे केवल वही सामान खरीदे, क्योंकि मैं एक नम्बर का आलसी जीव हूँ इसलिए मार्किट जाकर शॉपिंग करने से बेहतर मुझे ऑनलाइन ही लगता है और इसी का आदि हूँ,
#जरूरी_सामान
जरूरी सामान में एक छोटा वाटरप्रूफ बैग, जो वजन में भी हल्का हो, एक मजबूत टिकाऊ बेल्ट नुमा पेटी (कमर पर बांधने वाला बैग) जाँघ पर पहनने वाली पट्टियां, पिंडलियों पर पहनने वाली पट्टियां, पैर यानी तलुवे पर पहनने वाली पट्टियां (सबसे ज्यादा जरूरी), हल्के सूती कपड़े, दो से तीन जोड़ी (लोअर टीशर्ट हो तो बेहतर), दो बड़े लेकिन हल्के और सूती गमछे तौलिये, दवाइयां ( जिनमे पेनकिलर, बुखार, दस्त , दर्द निवारक ट्यूब स्प्रे, और जाँघ लगने पर लगाने वाली ट्यूब प्रमुख है) यदि मोबाइल ले जा रहे है तो अच्छी कैपिसिटी का पावर बैंक और चार्जर, और सबसे जरूरी सामान पैसे रखना ना भूले,
इन सब से पहले यदि कुछ चाहिए वो है अटूट श्रद्धा और ईश्वर और खुद से ज्यादा विश्वास, यात्रा के दौरान कई ऐसे दौर भी आएंगे जब आप मानसिक और शारीरिक रूप से थक चुके होंगे तब ये विश्वास ही आगे बढ़ने की हिम्मत देगा अन्यथा आप लिफ्ट लेकर या बस ट्रेन पकड़ कर यात्रा बीच मे छोड़ने से गुरेज नही करेंगे,
#जरूरी_समय
यात्रा शुरू करने से पहले खुद की क्षमताओं का आंकलन बेहद जरूरी है, आपका रहन सहन दिनचर्या किस तरह की ये बेहद महत्वपूर्ण है,
यदि शहरी आप आराम तलब जिंदगी जी रहे है तो रोजाना ३० किमी से ज्यादा का लक्ष्य बिल्कुल ना रखें,
यदि दैनिक जीवन मे शारीरिक श्रम भी करते है तो ३० से ४० किमी प्रतिदिन तक जा सकते है इस से ज्यादा नही,
यदि कठिन शारिरिक श्रम के आदि है तो ४०-५० किमी तक चल सकते है,
यदि अत्यधिक कठिन श्रम करते है तब ही ५० किमी से ज्यादा चलने के बारे में सोचे, इसके लिए आपकी चलने का अच्छा खासा अनुभव होना चाहिए, हल चलाने वाले किसान जैसा मेहनतकश ही इस बारे में सोच सकता है,
अब अपनी तय की जाने वाली दूरी और अपनी क्षमता के हिसाब से समय का आकलन कर एक अतिरिक्त दिन लेकर यात्रा प्रारंभ कर सकते है,
#सुझाव
यात्रा के आपके साथ किसी साथी का होना जितना जरूरी है उस से ज्यादा जरूरी है साथी के साथ सामंजस्य, किसी के भी साथ जाने का तभी निर्णय ले जब आओ दोनो एक दूसरे के साथ हर परिस्थिति में साथ रह सकते हो, क्योंकि चलते हुए आप को एक दूसरे का साथ देना होगा, सबकी स्पीड होती है आप अपनी रफ्तार से कम चलेंगे तो भी थकान जल्दी महसूस करूंगी और तेज चलेंगे तब भी, ऐसे में आपका धैर्य अवश्य जवाब दे जाएगा और आप साथियों को छोड़कर या साथी आपको छोड़कर फरार हो जांएगे और ऐसे में आपका मनोबल ध्वस्त हो जाएगा,
यदि अकेले जाने का साहस जुटा सकते है तो शायद ये सबसे बेहतर होगा
#भाग_२ में जारी..
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